Wednesday 16 December 2020

राजेंद्र बाबू

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राजेंद्र बाबू














 

1.  निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए:_

 

(1) राजेंद्र बाबू को लेखिका ने प्रथम बार कहां देखा था?

1.  उत्तर: राजेंद्र बाबू को प्रथम बार लेखिका ने स्टेशन पर देखा थाl



 

(2)   राजेंद्र बाबू अपने सवभावऔर रहन-सहन में किस का प्रतिनिधित्व करते थे?

उत्तर: राजेंद्र बाबू अपने सवभावऔर रहन-सहन में सामान्य भारतीय या

(3) राजेंद्र बाबू के निजी सचिव और सहचर कौन थे?

 उत्तर: राजेंद्र बाबू के निजी सचिव और सहचर चक्रधर थेl

(4) राजेंद्र बाबू ने किसकी शिक्षा की व्यवस्था करने के लिए लेखिका से अनुरोध किया?

उत्तर:  राजेंद्र बाबू ने पोतियों की शिक्षा की व्यवस्था करने के लिए महादेवी वर्मा का अनुरोध किया

 

(5) लेखिका प्रयाग से कौन सा उपहार लेकर राष्ट्रपति भवन पहुंची थी?

 उत्तर: सिरकी के बने एक दर्जन सूप का उपहार लेकर लेखिका राष्ट्रपति भवन पहुंचीl

 

(6) राष्ट्रपति को उपवास की समाप्त पर क्या खाते देखकर लेखिका को हैरानी हुई?

6. उत्तर:  राष्ट्रपति को उपवास की समाप्ति पर उबले आलू खाते देखकर लेखिका हैरान हो गईl

 

2.  निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन चार पंक्तियों में दीजिए_

 

(1) राजेंद्र बाबू को देकर हर किसी को जय क्यों लगता था कि उन्हें पहले कहीं देखा है?

1.  उत्तर:  राजेंद्र बाबू को देखकर हर किसी को लगता था कि उन्होंने राजेंद्र जी को पहले कहीं देखा हैl ऐसा इसलिए क्योंकि उनके शरीर के पूरे गठन में एक सम्मानय भारतीय जन की आकृति और गठन की छाया थीl अत: देखने वाले को कोई ना कोई आकृति या व्यक्ति स्मरण हो आता थाl

 

(2)  पंडित जवाहरलाल नेहरू की असत_व्यस्तता तथा राजेंद्र बाबू की सारी व्यवस्था किसका पर्याय थी?

उत्तर: पं.  जवाहर लाल नेहरु जी की अस्त - व्यवस्ता भी व्यवस्था से निर्मित होती थी किंतु राजेंद्र बाबू की सारी व्यवस्था ही अस्त - व्यवस्ता की स्थिति देख ले तो भी उन्हें बुरा नहीं लगता था, परंतु वह अपनी अस्त - व्यवस्ता के प्रकट होने पर बालक के समान संकुचित हो जाते थेl

 

(3)  राजेंद्र बाबू की वेशभूषा के साथ उनके निजी सचिव और सहचर चक्रधर बाबू का समरन लेखिका को क्या हो आया?

उत्तर:  लेखिका को चक्रधर बाबू का स्मरण इसीलिए हो आया क्योंकि वह भी राजेंद्र बाबू के ही समान थेl जब राजेंद्र बाबू के मौजों में से पांचों उंगलियां बाहर निकलने लगती, जूते के तले पैर के तलवों के गवाक्ष बनने लगते, जब धोती कुर्ते, कोट आदि का खद्दर अपने मूल ताने-बाने में बदलने लगता, तब चक्रधर इस पुरातन सज्जा को अपने लिए सहेज लेतेl

 

(4)लेखिका ने राजेंद्र बाबू की पत्नी को सच्चे अर्थ में धरती के  पुत्री क्यों कहा है?

उत्तर:  राजेंद्र बाबू की पत्नी साध्वी, सरल, क्षमामय सबके प्रति ममतालू और असंख्य संबंधों की सूत्रधारनी   थीl बिहार के जमींदार परिवार की वधू और स्वतंत्र युद्ध के अपराजय सेनानी की पत्नी होने का ना उन्हें कभी अहंकार हुआ ना कोई मानसिक ग्रंथि बनीl इसीलिए लेखिका के अनुसार वह सच्चे अर्थों में धरती की पुत्री थीl

 

(5)  राजेंद्र बाबू की पोतियोंका छात्रावास में रहन सहन कैसा था?

उत्तर: राजेंद्र बाबू की पोतियों का छात्रावास में रहन- सहन बहुत साधारण थाl वे खादी के कपड़े पहनती थी, जिन्हें वे सव्यं ही धोती थीl उनके साबुन, तेल आदि का   व्यय भी सीमित थाl कमरे की सफाई झाड़- पोछ, गुरुजनों की सेवा आदि भी उनके अध्ययन के आवश्यक अंग थेl

 

(6)   राष्ट्रपति भवन हुए भी राजेंद्र बाबू और उनकी पत्नी में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं हुआ उदाहरण देकर स्पष्ट करें

उत्तर:  राजेंद्र बाबू जब भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने तो महादेवी वर्मा ने उनसे उनकी पोत्रियों के संबंध में बात कीl राजेंद्र बाबू ने उन्हें कहा कि राष्ट्रपति भवन उनका नहीं हैl अहंकार से उनकी पोत्रियों का दिमाग खराब ना हो जाए इसीलिए जैसे पहले रहती थी उसी प्रकार आगे रहेगीl राजेंद्र बाबू की पत्नी भी राष्ट्रपति भवन में सव्यं खाना बनाती और सामान्य भारतीय ग्रहणी के समान पति, परिवार तथा परिजनों को खिलाने के उपरांत सव्यं अनन ग्रहण करती थीl इन उदाहरण से यह स्पष्ट होता है कि राष्ट्रपति भवन में रहते हुए भी राजेंद्र बाबू और उनकी पत्नी में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं हुआl

 

3.  निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 6 या 7 पंक्तियों में दीजिए_

 

(1) राजेंद्र बाबू की शारीरिक बनावट, वेशभूषा और सवभाव का वर्णन करें

 उत्तर:  राजेंद्र बाबू के शरीर का गठन एक सामान्य भारतीय जन की आकृति और गठन की छाया थीl आकृति तथा वेशभूषा के समान ही वे सवभाव और रहन-सहन में सामान्य भारतीय या भारतीय कृषक का ही प्रतिनिधित्व करते थेl उनकी वेशभूषा अस्त-व्यस्त होती थीl वह खादी की मोटी धोती ऐसा फंटा देखकर बांधते थे कि एक और दाहिने पैर पर घुटने छूती थी दूसरी और बाएं पैर की पिंडली मोटे खुद रे काले बंद गले के  ऊपर का भाग बटन टूट जाने के कारण खुला रहताl पैरों में मौजे जूते होते और वह गांधी टोपी पहनतेl घने मोटे कटे हुए बाल, चौड़ा मुख, चौड़ा माथा, घनी भूकुटियों के नीचे बड़ी आंखें, मुख के अनुपात में कुछ भारी नाक, कुछ गोलाई लिए चौड़ी ठोड्डी, कुछ मोटे पर सुड़ैल होठ, श्यामल गेहुआ रंग और ग्रामीणों जैसी बड़ी-बड़ी मूछेंl उनके व्यक्तित्व में ऐसा आकर्षण था कि दृष्टि को अनायास आकर्षित कर लेता थाl

 

(2) पाठ के आधार राजेंद्र बाबू की पत्नी की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन करें

उत्तर:  महादेवी वर्मा के अनुसार वह धरती की पुत्री थीl साध्वी,सरल, क्षमामय, सब के प्रति ममतालू l उनकी शादी बचपन में ही जमीदार परिवार में हो गई थीl बिहार के जमीदार परिवार की वधू और स्वतंत्रता सेनानी की पुत्री होने का उन्होंने कभी गर्भ ना कियाl वे छात्रावास में भी सभी बालिकाओं तथा नौकरों का समान रूप से ध्यान करती और छात्रावास में कुछ घंटे आने पर भी वह सब को बुला-बुलाकर उनका हाल पूछतीl वह बड़ी ही विनम्र, कुशल और सरल हृदय  महिला थीl

 

(3)  आशय स्पष्ट कीजिए_

()  सत्य में जैसी कुछ घटाना जोड़ना संभव नहीं रहता वैसे ही सच्चे व्यक्तित्व में भी कुछ जोड़ना घटाना संभव नहीं है

लेखिका महादेवी वर्मा ने सच्चे व्यक्तित्व की तुलना समय के साथ करते हुए बताया है कि जिस प्रकार आप सच में कुछ भी जमा या घटा नहीं सकते, सच अपने आप में ही परपूर्ण होता है इसी प्रकार सच्चे व्यक्तित्व वाले में भी कुछ कम या अधिक करने की आवश्यकता नहीं होती l सच्चा व्यक्ति पवित्र और सौम्य होता हैl

 

()  क्या वह सांचा टूट गया जिसमें ऐसे कठिन कोमल चरित्र ढलते थे


महादेवी वर्मा आज के नेताओं के आचरण और व्यवहार पर चिंता व्यक्त करते हुए कहती है कि क्या ईश्वर के पास से क्या वह सांचा टूट गया है? जिस सांचे में डालकर उन्होंने डॉ राजेंद्र प्रसाद जैसे उच्च व्यक्तित्व वाले चरित्रों का निर्माण किया था आजकल के नेताओं में राजेंद्र बाबू जैसी मधुरता, निशछलता सभ्यता सरलता क्यों नहीं दिखाई देती