नीति के दोहे
1.
निम्नलिखित
प्रश्नों
के
उत्तर
एक
दो
पंक्तियों
में
दीजिए_
(1) रहीम जी के अनुसार सच्चे मित्र की क्या पहचान है?
1.
उत्तर: रहीम जी के अनुसार सच्चा मित्र वही है जो विपित या कठिनाई में साथ देता हैl
(2) ज्ञानी व्यक्ति संपत्ति का संचय किस लिए करते हैं?
उत्तर: ज्ञानी व्यक्ति संपत्ति का संचय परमार्थ या दूसरों की भलाई के लिए करते हैंl
(3) बिहारी जी के अनुसार किसका साथ शोभा देता है?
उत्तर:एक जैसे स्वभाव वाले लोगों का साथ शोभा देता हैl
(4) बिहारी जी ने मानव को आशावादी होने का क्या संदेश दिया है?
उत्तर: बिहारी जी ने यह संदेश दिया है कि हमें कभी निराश ना हो कर अच्छे दिनों के लिए आशावादी होना चाहिएl जैसे भंवरा पतझड़ में भी बसंत ऋतु के लिए आशावादी रहता हैl
(5) छल और कपट का वह वार बार-बार नहीं चल सकता इसके लिए वंद्र जी ने क्या उदाहरण दिया है?
उत्तर: छल कपट का व्यवहार थोड़ी देर ही चलता है वृंद जी ने उदाहरण दिया दी है कि जिस प्रकार काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ सकती उसी तरह धोखेबाज की चलाकी भी बार-बार नहीं चल सकतीl
(6) निरंतर अभ्यास से व्यक्ति कैसे योग्य बन जाता है? वंद्र इसके लिए क्या उदाहरण दिया है?
उत्तर: जैसे रस्सी के बार बार आने जाने से पत्थर पर भी निशान पड़ जाता है ऐसे ही निरंतर अभ्यास से मंद बुद्धि भी कुशग बन सकता हैl
(7) शत्रु को कमजोर या छोटा क्यों नहीं समझना चाहिए?
7.उत्तर: शत्रु को कमजोर जाए छोटा इसीलिए नहीं समझना चाहिए क्योंकि वह छोटा होते हुए भी बड़ी हानि कर सकता हैl
1. रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारिl
जहां काम आवे सुई, का करे तर- वारिl
प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियां हिंदी की पाठ्यपुस्तक 10 में संकलित रहीम के दोहे में से लिया गयाl इसमें छोटी वस्तु की उपयोगिता के विषय में बताते हुए कहा है कि
व्याख्या: रहीम इस दोहे में स्पष्ट करना चाहते हैं कि इस संसार में हर छोटी से छोटी वस्तु का महत्व है हमें किसी भी छोटे व्यक्ति का अपमान नहीं करना चाहिए और उसको भी सदा सम्मान की दृष्टि से ही देखना चाहिए क्योंकि सभी वस्तुओं की अपनी उपयोगिता होती हैl जो काम सुई कर सकती है वह काम तलवार भी नहीं कर सकतीl इतनी छोटी होने के बावजूद भी सुई की अपनी महत्वता है बड़ी वस्तुओं को देकर हमें छोटी वस्तु की उपेक्षा नहीं करनी चाहिएl
2. कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकायl
वह खाए बोरात है, यहां पासे बोराएl
प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियां हिंदी की पाठ्यपुस्तक 10 में संकलित रहीम के दोहे में से लिया गयाl इस पंक्ति में बिहारी इसमें व्यक्ति के धन दौलत के नशे के बारे में बताते हुए कहा है कि.....
व्याख्या: बिहारी की प्रस्तुति दोहे में ध्वनि की महिमा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि धन ऐसी वस्तु है जिस व्यक्ति के पास जाता है उसे उसका इतना नशा हो जाता है जितना नशा धतूरे जैसे मादक पदार्थ को खाने से भी नहीं चढ़ताl कहने का अभिप्राय यह है कि धन से व्यक्ति को ऐसा पागलपन छा जाता है कि उसे कोई सुध-बुध नहीं रहतीl जैसे धतूरे को खाने से व्यक्ति बेसुध हो जाता है उसी प्रकार धन को प्राप्त कर व्यक्ति बेसुध हो जाता हैl
3. मधुर वचन ते जात मिट, उत्तम जन अभिमान
तनिक सीत जल सो मिटे, जैसे दूध उफानl
प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियां हिंदी की पाठ्यपुस्तक 10 में संकलित रहीम के दोहे में से लिया गयाl इस पंक्ति में विंद्र इसमें मीठी वाणी का महत्व बताते हुए विंद्र कहते हैं-
व्याख्या: जो व्यक्ति अभिमानी प्रवृत्ति के उनके अभिमान से भरे वचनों को मीठे वचनों से उसी प्रकार शांत किया जा सकता है जितना दूध का उबल ठंडे छींटे से दूर हो जाता हैl इसमें दर्शाया गया है कि वाणी की मिठास से हम अभिमानी से अभिमानी व्यक्ति के स्वभाव को भी शांत कर सकते हैंl