Wednesday, 16 December 2020

पदावली

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पदावली














 

1.  निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक जान दो पंक्तियों में दीजिए

 

1.   श्री कृष्ण ने कौन सा  व्रत धारण किया था?

उत्तरश्री कृष्ण ने 'गोवर्धन पर्वत' को धारण किया थाl



 

2.   मीरा किसे अपने नैनों में बसाना चाहती है?

उत्तरमीरा श्रीकृष्ण को अपने नैनों में बसाना चाहती हैl

 

3.   श्री कृष्ण ने किस प्रकार का  मुक्त और कुंडल धारण किया  है?

उत्तरश्री कृष्ण ने मोर के पंखों का बना मुकुट  की आकृति के कुंडल धारण किया हैl

 

 

4.   मीरा किसे देकर प्रसन्न हुई और किसे देकर दु:खी हुई?

उत्तरमीरा प्रेम की बेल पर भक्ति के मीठे-मीठे फल लगे देकर प्रसन्न हुई और संसार का झमेला देख दु:खी हुईl

 

5.   संतु की संगत में रहकर मीरा ने क्या छोड़ दिया?

उत्तरसंतों की संगत में रहकर मीरा ने लोक-लाज को छोड़ दियाl

 

6.   अपने आंसुओं के चल  से किस बेल को  पी रही थी?

उत्तर:   मीरा अपने आंसुओं के जल से प्रेम की बेल  को सीच रही थीl

 

7.   पदावली के दूसरे पद में मीराबाई गिर्देर से क्या चाहती है?

उत्तरपदावली के दूसरे पद में मीराबाई गिरधर से कहती है कि वह उसे अपना सर्वस्व मानती है और वह उसकी दासी हैl वह कृष्ण से प्रार्थना करती है कि इस संसार रूपी समंदर से उसका उद्धार किया जाएl

 

 

3.

1.बसो मेरे नैनन में नंदलालl

मोहनी मूरति सावरी सूरति नैना बने विसालl

मोर मुकुट मकराकृत कुंडल अरुण तिलक दिए भालl

अधर सुधारस मुरली राजति उर वैजयंती मालाl

छुद्र का कट तट सोभित नूपुर शब्द रसालl

मीरा प्रभु संतन सुखदाई भगत  बछल गोपालl
प्रसंगपुस्तक 10 में संकलित कवित्री मीराबाई द्वारा रुपए पदावली में से लिया गया हैl इस पंक्ति में मीरा के बाल कृष्ण के सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहते हैंl

व्याख्यामीरा ने कृष्ण के रूप का वर्णन करते हुए कहा है कि कृष्णा मैं आपको मन में मोहित करने वाली सुंदर  शव को अपनी आंखों में बसाना चाहती हूंlआपकी सूरत मन को मोह लेने वाली है और सूरत सांवले रंग की हैl इस पर बड़ी बड़ी आंखें हैंl अपने मोर के पंखों का मुकुट  मकर की आकृति के कुंडल  धारण किए हैंl माथे पर लाल रंग का तिलक की शोभा बढ़ा रहा हैहृदय पर  वैजती माला सुशोभित हैl


2.  मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो कोईl

जाके सिर मोर मुकुट, मेरो पति सोईl

तात मात भ्रात बंधु, आपने कोई l

छाड़ी दई कुल की कानि, कहां करें कोईl

संतन ढग बैठी बैठी, लोक लाज खोईl

आंसूअन जन सींचि सींचि,प्रेम बल कोईl

अब तो बेलि फैल गई, आनंद फल होईl

भगत देख राजी भई, जगत देखि रोईl

दासी मीरा गिरधर, तारौअब मोहीl
प्रसंगपुस्तक 10 में संकलित कवित्री मीराबाई द्वारा रुपए पदावली में से लिया गया हैl

व्याख्यामीरा ने श्रीकृष्ण को अपना सर्वस्त मानते हुए कहा है कि गोवर्धन पर्वत को उतारने वाले श्री कृष्ण ही मेरे पति है और दूसरा कोई नहींl जिनके सिर पर मोर के पंखों का सुंदर मुकुट हैl श्री कृष्ण मेरे अपने हैं दूसरा कोई   नहीं हैमाता पिता बहन भाई मेरा अपना कोई नहीं है मैंने फूल की झूठी मर्यादा घोड़  दी हैl संतों की संगत में रहकर मैंने लोग संगत को छोड़ दिया हैl बेल खिल गई है और मुझ पर भक्ति के मीठे मीठे फल लगे हैं जिसमें आनंद की प्राप्ति होती हैंl मीरा कहती है कि भक्तों को देकर उसे खुशी मिलती हैl संसार का झमेला तो दुख देने वाला हैl मीरा कहती है कि मैं कृष्णा की दासी हूंl वही मेरा संसार रूपी समुंदर से उद्धार करेंl