व्याकरण
अनुच्छेद (1-4)
मेरी दिनचर्या
दिनचर्या
से अभिप्राय है - नित्य किए
जाने वाले काम। इन
कामों को
योजनाबद्ध
तरीके से करना चाहिए।
मैंने अपनी पढ़ाई, व्यायाम,
खेलकूद,
मनोरंजन
व विश्राम आदि के आधार
पर अपनी दिनचर्या बनायी
हुई है।
इसी
के आधार पर मैं
दिनभर काम करता हूँ।
मेरा स्कूल सुबह आठ बजे
लगता
है, किन्तु मैं सुबह पाँच
बजे उठकर पहले अपने
पिता जी के साथ
सैर
को जाता हूँ | कुछ
व्यायाम भी करता हूँ।
घर आकर नहा-धोकर
थोड़ी देर
पढ़ता
हूँ क्योंकि इस समय वातावरण
में शान्ति होती है तथा
दिमाग ताज़ा
होता
है। नाश्ता करके में सुबह
स्कूल चला जाता हूँ।
स्कूल से छुट्टी के
बाद
खाना
खाकर मेँ पहले थोड़ी
देर आराम करता हूँ।
मुझे फुटबॉल खेलना बहुत
अच्छा
लगता है। इसलिए मैं
शाम को एक घंटा
फुटबॉल खेलता हूँ। में
खेलने
के बाद घर आकर
स्कूल से मिले होमवर्क
को करता हूँ। होमवर्क
के
बाद
में कठिन विषयों का
अभ्यास भी करता हू
इसके बाद में लगभग
आधा
घंटा टेलीविज़न पर अपना मनपसंद
चैनल देखता हूँ। फिर खाना
खाकर
थोड़ी देर सैर भी
करता हूँ। तत्पश्चात सरल
विषयों का भी अध्ययन
करता
हूँ। मैं रात को
सोने से पहले प्रभु
का स्मरण करता हूँ और
सो जाता
हूँ।
इस दिनचर्या से मेरा जीवन
नियमित हो गया है।
मेरी पहली हवाई यात्रा
इस बार गर्मियों की
छुट्टियों में मेरे माता-पिता ने श्रीनगर
जाने का
प्रोग्राम
बनाया। मेरे पिता जी
ने इंटरनेट के माध्यम से
'गो एयर' कंपनी
की टिकट बुक करवा
दी। यात्रा के निर्धारित दिन
हम टैक्सी से हवाई
अड्डे
पर पहँँच गए। हम पूछताछ
करके 'गो एयर' कंपनी
के काउंटर पर
पहुँचे।
हमने अपना सामान चैक
करवाया और उन्होंने बताया
कि
हमारा
वह सामान सीधा जहाज़ में
रखवा दिया जाएगा। हमें
अपने
सामान
की रसीद और यात्री
पास दे दिए गए।
सामान जमा करवाकर
हम उस ओर बढ़े
जहाँ व्यक्तियों के हैंडबैग, मोबाइल,
लैपटॉप, कैमरा
आदि
की चैकिंग की जा रही
थी। कम्प्यूटर तकनीक के माध्यम से
सामान
की चैकिंग देखकर में दंग रह
गई। पहली हवाई यात्रा
का
आनन्द
उठाने के ब्िए में
उत्सुक थी। इसके बाद
हम निर्धारित स्थान
पर पहुँच गए, हमारी टिकटें
चैक हुई और हम
जहाज़ में जा बैठे।
जहाज
में
विमान परिचारिकाओं ने हमारा स्वागत
किया, हमें सीट बैल्ट
बाँधने
की हिदायतें दी और कुछ
ही पलों में जहाज़
ने उड़ान भरी और देखते
ही
देखते
वह बादलों के बीच था।
इतनी सुखद व रोमांचकारी
यात्रा मेरे
लिए
अविस्मरणीय रहेगी।
मेरे जीवन का लक्ष्य
में
अब दसवी कक्षा में
पढ़ रहा हूँ। मैंने
अपने जीवन का लक्ष्य
निर्धारित
कर लिया है। में
बड़ा होकर एक सैनिक
बनकर देश की सेवा
करना चाहता
हूँ।
प्रायः अखबारों रेडियो व टेलीविज़न के
माध्यम से पाकिस्तान की
ओर से भारत में
आतंक फैलाने की घटनाएँ पढ़ने-सुनने को मिलती हैं।
बांग्लादेश
से भी भारत घुसपैठ
होती रहती है। चीन
ने पहले ही भारत
का
एक बड़ा भूभाग दबाकर
रखा है अब भी
उसकी नीयत भारतीय ज़मीन
पर
कब्जा
करने की रहती है।हमने
एक लम्बी गुलामी के बाद बड़ी
कुर्बानियाँ
देकर
आज़ादी प्राप्त की है ।
इसे कायम रखना प्रत्येक
भारतवासी का
कर्तव्य
है। में अब कभी
दोबारा भारत पर कोई
भी आँच नहीं आने
आने
दूँगा।
मुझे खुशी है कि
मेरे जीवन के लक्ष्य
निर्धारण में मेरा परिवार
मेरे
साथ
है। मेरे मामा जी
भी लम्बे समय से फौज
में अफसर हैं। उन्होंने
भी
मुझे
काफी प्रेरित किया है। उन्होंने
अन्य विषयों के साथ-साथ
विशेष रूप से
गणित
और विज्ञान में अच्छे अंक
प्राप्त करने, शरीर को स्वस्थ
व फुर्तीला
रखने
के लिए नियमित रूप
से व्यायाम करने तथा जीवन
में निडरता व
अनुशासन
पर बल देने की
बात कही है। निस्संदेह
रास्ता कठिन है किन्तु
मुझे
विश्वास है कि आत्मविश्वास,
इढ़ इच्छाशक्ति व मेहनत के
सहारे में
अपने
लक्ष्य को प्राप्त कर
लूँगा।
हम घर में सहयोग कैसे करें
जीवन
में सहयोग का बहुत महत्त्वपूर्ण
स्थान है। हमें सब
के साथ
सहयोग
करना चाहिए। इसका प्रारम्भ घर
से करना चाहिए। हमें
घर
में
मिलजुलकर रहना चाहिए। पिता
जी मेहनत से रोजी-रोटी
कमाकर
परिवार
का पालन पोषण करते
हैं। माँ घर के
कार्यों जैसे-साफ-सफाई,
खाना
बनाना, बर्तन-कपड़े धोना आदि सभी
काम करती हैं। इसलिए
हमें
भी घर के अन्य
छोटे-मोटे कार्यों में
माता-पिता का हाथ
बंटाना
चाहिए।
हम बाजार से दूध, फल,
सन्जियाँ आदि लाकर घर
में सहयोग
दे सकते है। बिजली,
पानी टेलीफोन का बिल समय
पर जमा करवा
सकते
हैं। घर में उचित
जगह पर चीजों को
रखकर, खाना परोसकर,
खाने
के बाद खाने के
टेबल से बर्तन उठाकर
रसोईघर में रखकर, छोटे
भाई-बहनों को पढ़ाकर हम
घर में एक दूसरे
को सहयोग दे सकते हैं।
घर के छोटे सदस्य
बगीचे में लगे पौधों
को पानी देकर, इधर-उधर
कागज़
न फेंककर तथा खिलाने आदि
से खेलने के बाद उन्हें
समेटकर
सहयोग
दे सकते हैं। घर
में किसी के बीमार
पड़ने पर उसकी दवाई
का
प्रबन्ध
करके तथा उसकी सेवा
करके भी हम सहयोग
कर सकते हैं। इस
प्रकार
आपसी सहयोग से घर खुशहाल
बन जाएगा।
अनुच्छेद (4-6)
गाँव का खेल मेला
हर वर्ष की तरह
इस वर्ष भी हमारे
गाँव किशनपुरा में वार्षिक खेल
मेले का आयोजन किया
गया।
इन खेलों में ऊँची कूद,
साइकिल दौड़, 100 मीटर, 200 मीटर, कबड्डी, कुश्ती तथा रेलगाड़ियों
की दौड़ को शामिल
किया गया। सारे गाँव
को दुल्हन की तरह सजाया
गया था। बच्चे, नौजवान,
बूढ़े
तथा स्त्रियाँ सभी गाँव के
खेल मेले को बड़े
उत्साह से देखने पहुँचे।
यह खेल मेला दो
दिन
तक चला। खेल का
उद्घाटन गाँव के सरपंच
द्वारा किया गया। उन्होंने
खिलाड़ियों से अपील
की कि वे लग्न
तथा मेहनत से खेलें तथा
भविष्य में देश का
नाम रोशन करें। पहले
दिन ऊँची-
कूद,
साइकिल दौड़, 100 तथा 200 मीटर खेलों का
आयोजन किया गया। दूसरे
दिन पहले
कुश्ती,
कबड़डी तथा साइकिल दौड़
का आयोजन किया गया। कुश्ती
व कबड्डी के खेल ने
सभी
गांव
वासियों का मनोरंजन किया।
अंत में रेलगाड़ियों की
दौड़ ने भी सभी
का खूब मनोरंजन
किया।
इसके बाद 'भंगड़े' ने
लोगों को नाचने पर
मजबूर कर दिया। अतिथि
द्वारा जीतने वाले
खिलाड़ियों
को इनाम बाँटे गये।
सचमुच, हमारे गाँव का खेल
मेला बहुत ही रोचक
तथा
रोमांचकारी
होता है, जिसकी लोगों
को साल्र भर प्रतीक्षा रहती
है।
परीक्षा में अच्छे अंक पाना ही सफलता का मापदंड नहीं
यह ठीक है कि
परीक्षा में अच्छे अंक
पाने वाले का सभी
जगह सम्मान होता है। उसका
आत्मविश्वास
बढ़ता है और अच्छे
भविष्य के लिए उसका
रास्ता आसान हो जाता
है। किन्तु
सिर्फ
यही सफलता का मापदंड नहीं
हैं। कम अंक प्राप्त
करके भी समाज में
प्रतिष्ठित स्थान
प्राप्त
किया जा सकता है।
अकादमिक क्षेत्र के अलावा अन्य
क्षेत्र भी हैं। अपनी
रुचियों और
क्षमताओं
को पहचानकर अपने मनपसंद क्षेत्र
में परिश्रम व दृढ़निश्चय के
सहारे कूद पड़ने पर
अपार
सफलता मिल सकती है।
स्कूल स्तर पर औसत
दर्जे के समझे जाने
वाले वैज्ञानिक
आइंस्टाइन
ने बाद में अद्भुत
आविष्कार किए। मुंशी प्रेमचंद
ने दसवीं कक्षा द्वितीय श्रेणी में
पास
की और दो बार
फेल होने के बाद
इंटरमीडिएट कक्षा पास की। इसके
बावजूद भी पूरे विश्व
में
वे हिंदी के उपन्यास सम्राट
के रूप में जाने
जाते हैं | सचिन तेंदुलकर, महेंद्र
सिंह धोनी क्रिकेट
में
अच्छे प्रदर्शन की वजह से
जाने जाते हैं न
कि अकादमिक तौर पर। इसी
तरह अनेक स्वतंत्रता
सेनानी,
खिलाड़ी, संगीतज, गायक, अभिनेता, राजनीतिज, व्यापारी आदि हुए हैं
जिन्होंने
अकादमिक
तौर पर नहीं अपितु
अपने अपने क्षेत्र में
अपनी प्रतिभा के बल पर
सफलता के
शिखर
को छुआ है। अत:
अंकों की तरफ ध्यान
न देकर आशावादी इष्टिकोण
अपनाते हुए हृढ़ता
के साथ आगे बढ़ना
चाहिए।
भ्रमणः ज्ञान वृद्धि का साधन
पाठ्य-पुस्तकें, अखबार, मैगजीन पढ़कर ज्ञानार्जन किया जा सकता
है। रेडियो को सुनकर व
टेलीविज़न
पर देश-विदेश की
झलकियों के बारे में
सुनकर-देखकर ज्ञान प्राप्त किया जा सकता
है,
किन्तु अमण आनन्द के
साथ-साथ ज्ञान वृद्धि
का अनुपम साधन है। अमण
का महत्त्व इस
बात
से भी लगाया जा
सकता है कि पुस्तकों
आदि में जो ज्ञान
दिया गया है वह
इतिहासकारों,
विद्वानों,
वैज्ञानिकों, खोजकर्ता व महापुरुषों के
भ्रमण का ही परिणाम
है । ऐतिहासिक व
धार्मिक
स्थानों का भ्रमण करके
जो मन को शांति,
सौन्दर्यानुभूति व ज्ञान मिलता
है वह केवल
किताबें
पढ़ने पर नहीं हो
सकता। इसी प्रकार ऊँचे-ऊँचे पर्वतों, नदियों,
झीलों, झरनों, वनों,
समुद्रों
आदि पर भ्रमण करके
ही प्राकृतिक सुंदरता का आनन्द व
ज्ञान लिया जा सकता
है। ऐसा
ज्ञान
सुनने-पढ़ने की अपेक्षा अधिक
जीवंत होता है। भ्रमण
करने से आत्मविश्वास बढ़ता
है।
अन्य
स्थानों पर भ्रमण की
उत्सुकता बढ़ती है। उत्सुकता तो
ज्ञान-वृद्धि की मुख्य सीढ़ी
है।
निस्संदेह,
भ्रमण के बिना तो
ज्ञान अधूरा ही कहा जाएगा।
प्रकृति का वरदान : पेड़-पौधे
ईश्वर
ने सम्पूर्ण जगत के प्राणियों
को अनेक अमूल्य उपहार
दिए हैं जिनमें से
पेड़-पौँधे मुख्य
हैं।
सचमुच, ये हमारे लिए
किसी वरदान से कम नहीं
हैं। इनका हमारे जीवन
में महत्वपूर्ण
स्थान
है। पेड़ दुर्गन्ध लेते
हैं और सुगन्ध लाटाते
हैं अर्थात ये कार्बन डाई
ऑक्साइड ग्रहण करके
हमें
ऑक्सीजन देते हैं। ये
सूर्य की गर्मी को
स्वयं सहन करके हमें
छाया प्रदान करते हैं, इसलिए
ये परोपकारी हैं। इनसे हमें
फल और फूल, ईंधन,
गोंद, रबड़, फर्नीचर की लकड़ी, कागज़
आदि
मिलते
हैं। पेड़ पाँधों से
वातावरण शुद्ध बनता है तथा
भूमि की उर्वरता बढ़ती
है क्योंकि इनकी
पत्तियाँ
खाद बनाने के काम आती
हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में
भी इनकी अहम भूमिका
है। पेड़ों के
पतों,
जड़ों, फलों, फूलों तथा छाल आदि
से कई प्रकार की
दवाइयाँ बनती हैं। धार्मिक
दृष्टि से तो
पेड़ों
का बहुत महत्व है।
ऐसे भी कई पेड़
पाँध हैं जिन्हें पूजा
जाता है जैसे-तुलसी,
पीपल, केला,
बरगद,
आम आदि। पेड़ों का
सम्बन्ध रोज़गार से भी जुड़ा
है। पेड़ों से लोग टोकरियाँ,
बैग,
चटाइयाँ,
पेंसिलें, फर्नीचर आदि बनाकर अपना
करते हैं। पेड़-पौँधों
का इतना महत्त्व होने
पर
इनका
संरक्षण करना चाहिए। ये
हमें लाभ ही देंगे।
कहा भी है-पेड
लगाओ, पर्यावरण बचाओ।
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
पत्र (1-3)
1- डाटा एन्ट्री ऑपरेटर” पद पर नियुक्ति हेतु आवेदन पत्र लिखिए।
सेवा
में
प्रिंसिपल
सेवा
सदन हाई स्कूल
दिल्ली।
विषय
:- डाटा एन्ट्री ऑपरेटर' के पद के
लिए आवेदन पत्र ।
महोदय,
मुझे
'दैनिक समाचार पत्र दिल्ली
में दिनांक 07 मई, 2015 को छपे विज्ञापन
को पढ़कर पता चला कि
आपके
स्कूल में डाटा एन्ट्री
ऑपरेटर' के तीन पद
खाली हैं। मैं स्वयं
को इस पद के
लिए प्रस्तुत कर रहा
हुँ
मेरा परिचय तथा शैक्षिक योग्यताएं
इस प्रकार हैं:
सामान्य परिचय
1. नाम
= अरविन्द
कुमार
2. पिता
का नाम = श्री
रोहित कुमार
3. माता
का नाम = श्रीमती
रीटा
4. पिता
का व्यवसाय = दुकानदार
3, माता
का व्यवसाय = कामकाजी
महिला
6.परिवार
की कुल आमदनी = 3,00,000/- वार्षिक
7. आयु
= 20 वर्ष
8. जन्म
तिथि = 06.07.1995
9, पता
(स्थायी) = मकान
नम्बर + 125, मयूर विहार,पानीपत
(हरियाणा)
10. ( पत्र
व्यवहार के लिए पता)= उपर्युक्त