Saturday, 4 September 2021

भ्रमणः ज्ञान वृद्धि का साधन

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भ्रमणः ज्ञान वृद्धि का साधन

पाठ्य-पुस्तकें, अखबार, मैगजीन पढ़कर ज्ञानार्जन किया जा सकता है। रेडियो को सुनकर

टेलीविज़न पर देश-विदेश की झलकियों के बारे में सुनकर-देखकर ज्ञान प्राप्त किया जा सकता

है, किन्तु अमण आनन्द के साथ-साथ ज्ञान वृद्धि का अनुपम साधन है। अमण का महत्त्व इस

बात से भी लगाया जा सकता है कि पुस्तकों आदि में जो ज्ञान दिया गया है वह इतिहासकारों,

विद्वानों, वैज्ञानिकों, खोजकर्ता महापुरुषों के भ्रमण का ही परिणाम है ऐतिहासिक

धार्मिक स्थानों का भ्रमण करके जो मन को शांति, सौन्दर्यानुभूति ज्ञान मिलता है वह केवल

किताबें पढ़ने पर नहीं हो सकता। इसी प्रकार ऊँचे-ऊँचे पर्वतों, नदियों, झीलों, झरनों, वनों,

समुद्रों आदि पर भ्रमण करके ही प्राकृतिक सुंदरता का आनन्द ज्ञान लिया जा सकता है। ऐसा

ज्ञान सुनने-पढ़ने की अपेक्षा अधिक जीवंत होता है। भ्रमण करने से आत्मविश्वास बढ़ता है।

अन्य स्थानों पर भ्रमण की उत्सुकता बढ़ती है। उत्सुकता तो ज्ञान-वृद्धि की मुख्य सीढ़ी है।

निस्संदेह, भ्रमण के बिना तो ज्ञान अधूरा ही कहा जाएगा।